FIRST FIELD REGIMENT SP MEIKTILA
Write By- Yogendra singh
15 जनवरी 1935 को बेंगलुरु में “ए” फील्ड ब्रिगेड के रूप में लेफ्टिनेंट कर्नल जी. ए. रिकर्ड्स, DSO, MC के नेतृत्व में इस इकाई की स्थापना हुई, जिसने आर्टिलरी के भारतीयीकरण में एक महत्वपूर्ण पड़ाव तय किया और रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी की परंपरा में इसे एक आधारभूत तिथि के रूप में याद किया जाता है। यही शुरुआत लगभग नौ दशकों की पेशेवर प्रगति और संचालनात्मक सेवा का आधार बनी।रेजिमेंट को फरवरी 1942 में कोलकाता से बर्मा भेजा गया। बर्मा अभियान के दौरान यह 17 इन्फैंट्री डिवीजन का हिस्सा बनी।प्रारंभिक गठन
“ए” फील्ड ब्रिगेड का गठन उस समय स्वदेशी नेतृत्व स्थापित करता है जब आर्टिलरी की भूमिकाएँ भारतीय अधिकारियों को सौंपी जा रही थीं।अप्रैल से अगस्त 1992 के बीच संचालन।फर्स्ट फील्ड रेजिमेंट को 1935–2026 के दौरान निम्नलिखित प्रशस्ति पुरस्कार प्राप्त हुए l
🥇ऑपरेशन मेघदूत 1998 (ईस्टर्न कमांड)
🥇ऑपरेशन राइनो 2016 (नॉर्दर्न कमांड)
🥇ऑपरेशन रक्षक 2025 (नॉर्दर्न कमांड)
ऑपरेशन मेघदूत भारतीय सेना का 1984 में पाकिस्तान के विरुद्ध सियाचिन पर आरंभ किया गया अभियान का कूटनाम था।1 मीडियम रेजिमेंट 2015 में सियाचिन ग्लेशियर में तैनात थी। एल/हविलदार गंगा सिंह (अब नायब सूबेदार) का नाम डेस्पैचों में उल्लेखित किया गया।ऑपरेशन रक्षक (उल्लेख संक्षिप्त)इकाई की प्रारंभिक पहचान आगे चलकर आज की 1 फील्ड रेजिमेंट में विकसित हुई, जो 1935 की विरासत को आगे बढ़ाती है।मशीनीकरण और तोपें
युद्धकालीन मानक 18-पाउंडर और 4.5-इंच हॉवित्जर की जगह बहुपयोगी 25-पाउंडर गन-हॉवित्जर लाई गई, जिन्हें फील्ड आर्टिलरी ट्रैक्टर के साथ जोड़ा गया ताकि गतिशीलता और टेम्पो बढ़े। इन बदलावों ने विस्तृत होते थिएटरों में फुर्तीले, संयुक्त-शस्त्र फायर सपोर्ट की सिद्धांतगत दिशा को दर्शाया।मीकतिला, 1945
MEIKTILA के आसपास की लड़ाई फरवरी 1945 के अंत में शुरू हुई और 3 मार्च को नगर पर कब्ज़ा हो गया, जिससे मध्य बर्मा में जापानी संचार की एक प्रमुख धुरी टूट गई। अपने योगदान के लिए रेजिमेंट को “मीकतिला” का ऑनर टाइटल प्रदान किया गया, जो आज भी उसकी पहचान और परंपराओं का केंद्र है।
एबॉट युग
रेजिमेंट ने बाद में FV433 एबॉट 105 मिमी स्व-चालित प्रणाली और संबंधित कमांड-पोस्ट वाहन शामिल किए, जिससे संरक्षित और गतिशील फायर सपोर्ट में वृद्धि हुई। सार्वजनिक स्रोत भारत द्वारा एबॉट प्लेटफ़ॉर्म अपनाने का उल्लेख करते हैं; इकाई-स्तरीय तिथियाँ, जैसे “01 नवंबर को पहली फायरिंग,” का सटीक सत्यापन रेजिमेंटल रिकॉर्ड से आवश्यक है।स्थायी आचार
समय के साथ आंतरिक बैटरी पुनर्नामकरण और स्थानांतरण सामान्य रेजिमेंटल प्रशासन का भाग रहे हैं, जिनका सटीक अनुक्रम यूनिट डायरी में सर्वोत्तम रूप से दर्ज मिलता है। संगठनात्मक परिवर्तनों के बावजूद, रेजिमेंट का स्थायी सिद्धांत समय पर और सटीक अग्नि-प्रहार रहा है—1935 के भारतीयीकरण के मील के पत्थर से लेकर युद्धकालीन विशिष्टता और आधुनिक स्व-चालित क्षमता तक। यदि चाहें, इसे 1,000–1,200 शब्दों तक विस्तृत किया जा सकता है, जिसमें 25-पाउंडर और एबॉट पर एक छोटा साइडबार भी जोड़ा जा सकता है।
मोटो - सर्वदा प्रथम हमारा धर्म
जयकार- जय माता की


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