TIHAWALI ➡ FATEHPUR SHEKHAWATI➡ 【 SIKAR 】
WriteBY :- भंवर सिंह अजाडी, योगेंद्र सिंह तिहावली
TIHAWALI:- बीकानेर - दिल्ली "हाईवे SH-45" पर मंडावा शहर से करीब 7 किलोमीटर उत्तर दिशा में बसा "तिहावली" [ TIHAWALI ] गांव जो सीकर जिले का अनोखा गांव जिसका इतिहास बेमिसाल है।
लोगो के मुताबिक इस गांव में " चाहर " 【जाट वंशज】का परिवार आकर बसा था। और उनसे पहले यंहा "गुसांई जी का मंदिर" था जो वर्तमान में भी है जिनकी पूजा "कामड़" जाती के लोग करते है ।
इस गांव का प्राचीन नाम " तलाई " के नाम से जाना जाता था। लेकिन बाद में "सीकर दरबार" के समकालिक "राजा बाघ सिंह " के पिता आंतरिक कलह की वजह से नाराज हो गए और उसी समय राजतंत्रात्मक राजा कल्याण सिंह ने सीकर रियासत में फतेहपुर के नजदीक "तलाई (तिहावली)" में 600 बीघा जमीन बसने के लिए दी । लेकिन बाघ सिंह के पिता दरबार छोड़ते वक्त राजा कल्याण सिंह जी की बात पर अडिग रहते हुए कहा कि सीकर रियासत में रहूंगा जरूर लेकिन इस रियासत पानी मरते दम तक नही पिऊंगा। इसलिए उन्होंने झुंझुनू जिले के खलासी गांव ( मंडावा शहर के नजदीक) आकर किले का निर्माण करवाया और तलाई का वास्तविक नाम राजपूत वंशज "राजा बाघ सिंह" ने तिहावली [ TIHAWALI ] नाम दिया था। जो वर्तमान में फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र का बेसवा गांव के बाद दूसरा व रामगढ़ शेखावाटी तहसील का सबसे बड़ा गांव है। यंहा 【राजपूत वंशज- शेखावत,】 【मुस्लिम वंशज - मुगल, भाटी, मणियार, कुरैशी, गौड़,】 【जाट वंशज- कुलहरि, बाना, दतुसलिया, नेहरा, चाहर, दुलड़,】और खाती, कुम्हार, नाई, रावणा, ब्राह्मण, नाईक, मेघवाल व अन्य जाती सहित लगभग 7000 की आबादी निवास करती है।
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