जीण माता सीकर 【 JEEN MATA SIKAR 】


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WriteBY:- YOGENDRA SINGH TIHAWALI 
जीण माता :-शेखावाटी क्षेत्र के सीकर की आराध्य देवी " जीण भवानी" का मंदिर सीकर जिले के गोरिया गाँव में हर्ष पहाड़ी के निकट स्तिथ है | जीण माता "शाकंबरी एवं अजमेर चौहानो " की की कुलदेवी है | हर्ष पर्वत पर प्राप्त शिलालेख के अनुसार जीण भवानी के वर्तमान मंदिर का निर्माण " राजा हटट" द्वारा करवाया गया है | इस मंदिर में अखंड ज्योति हमेशा जलती रहती है जिसके लिए तेल तत्कालीन अजमेर एवं दिल्ली के शासको द्वारा भेजा जाता था | हर्ष पर्वत पर स्तिथ " काजला शिखरा " पर उनके भाई हर्ष (भैरव नाथ ) का मंदिर है | यही पर भी अखंड ज्योत हमेशा जलती रहती है मान्यता यह भी है की इस ज्योत से बनी काजल अत्यंत शुभ मानी जाती है | जीण  माता धांधल जी की पुत्री हर्ष की बहिन थी | जनश्रुति के अनुसार दोनों भाई बहनो में अटूट प्यार था लेकिन हर्ष की पत्नी एवं उनकी बहन  (जीण) दोनों के मध्य झगड़ा हो गया और इसी के कारण माता जी ने गृह त्याग  का प्रण ले लिया और इस बात से ख़फ़ा होकर हर्ष ने भी घर को छोड़ कर अपनी बहन के साथ हर्ष पर्वत पर तपस्या में लग गया | तभी से जीण और हर्ष भेरू विख्यात है | शेखावाटी के एक चरण कवि द्वारा जीन की स्तुति में " विचरण गीत " राजस्थान के लोकसाहित्य में सबसे लम्बा गीत माना जाता है | जीण माता का मेला चैत्र व् आश्विन नवरात्रो में भरता है | मंदिर में देश के कोने कोने से लाखो श्रद्धालु आते है | मंदिर में अस्टभुजा प्रतिमा प्रस्थापित है | 







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JEEN MATA , REWASA SIKAR
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