विश्वविख्यात श्री करणी माता , देशनोक (बीकानेर)
करणी माता जी को " काबा (चूहे) वाली माता " के रूप में जाना जाता है | चारण देवियो में सर्वाधिक पूज्य एवं लोकप्रिय करणी माता जी का जन्म 1444 विकर्मी को वर्तमान "जोधपुर" जिले के " सुआप " गाँव में "कीनिया" गौत्र के मेहाजी चारण के घर जन्म हुआ | इनके बचपन का नाम " रिधु बाई " था | बाल्याकाल में ही कई चमत्कार दिखाने पर " रिधु बाई " करणी माता कहलाई | करणी जी का विवाह साठिका (बीकानेर ) के दीपाजी बिट्ठू के साथ हुआ | इनके वंशज देपावत कहलाये | एक जनश्रुति के अनुसार एक बार जब करणी माता का पुत्र "कोलायत " में नहाते हुए मर गया तो करणी जी ने यमराज को आव्हान करते हुए अपने पुत्र को पुनः जीवित करने का आग्रह किया | यमराज के न मानने पर करणी जी अपनी चमत्कारिक शक्ति से पुत्र को जीवित किया और यमराज को कहा आज के बाद से मेरा कोई वंशज तुम्हारे पास नहीं आएगा |
इसीलिए देशनोक की आज भी मान्यता है की करणी जी के वंशज ( देपावत ) की मृत्यु हो जाने पर काबा ( चूहे ) बनते है | करणी जी के मंदिर में आज भी हज़ारो चूहे दौड़ते है | इन चूहों में सफेद चूहे को करणी जी का रूप माना जाता है | माना जाता है इनका दर्शन शुभ माना जाता है | करणी माता जी का मंदिर " मढ़ " कहलाता है | माता जी का मुख्य मंदिर देशनोक ( बीकानेर ) में है | करणी माता बीकानेर के "राठोड वंशज" की कुलदेवी है | जोधपुर के " मेहरानगढ़ " की नीव करणी जी के आशीर्वाद से "राव जोधा " ने ही रखी थी |
राव शेखाजी को मुल्तान कैद से छुड़वाया था | उनकी पुत्री का विवाह "बीकाजी " के साथ करवाया |
" शेखावत " राजपूतो में करणी जी के प्रति अटूट आस्था है |
" चैत्र और आश्विन नवरात्रो " में देशनोक में विशाल मेला लगता है जंहा देश के कोने कोने से लाखो शरणार्थी दर्शन के लिए आते है | यूँ तो करणी माता को जन - जन की लोक देवी है मगर चारण, शेखावत, राठौड़ राजपूत , वणिक वर्ग एवं खाती जाती के लोग विशेष आस्था रखते है | ऐसा माना जाता है की देशनोक को करणी माता ने बसाया था | करणी जी को "आवड जी " ( तमडेराय ) का अवतार माना जाता है | देशनोक से 1 किमी दूर "नेहड़ी जी " का स्थान है जंहा सर्वप्रथम करणी जी अपनी गायो के साथ आकर यंहा रही थी | ऐसा माना जाता है कि यंहा का एक अत्याचारी शासक
" राव कान्हा " का वध करके करणी जी ने " रिड़मल " को यंहा का राज दिलाया |
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इसीलिए देशनोक की आज भी मान्यता है की करणी जी के वंशज ( देपावत ) की मृत्यु हो जाने पर काबा ( चूहे ) बनते है | करणी जी के मंदिर में आज भी हज़ारो चूहे दौड़ते है | इन चूहों में सफेद चूहे को करणी जी का रूप माना जाता है | माना जाता है इनका दर्शन शुभ माना जाता है | करणी माता जी का मंदिर " मढ़ " कहलाता है | माता जी का मुख्य मंदिर देशनोक ( बीकानेर ) में है | करणी माता बीकानेर के "राठोड वंशज" की कुलदेवी है | जोधपुर के " मेहरानगढ़ " की नीव करणी जी के आशीर्वाद से "राव जोधा " ने ही रखी थी |
राव शेखाजी को मुल्तान कैद से छुड़वाया था | उनकी पुत्री का विवाह "बीकाजी " के साथ करवाया |
" शेखावत " राजपूतो में करणी जी के प्रति अटूट आस्था है |
" चैत्र और आश्विन नवरात्रो " में देशनोक में विशाल मेला लगता है जंहा देश के कोने कोने से लाखो शरणार्थी दर्शन के लिए आते है | यूँ तो करणी माता को जन - जन की लोक देवी है मगर चारण, शेखावत, राठौड़ राजपूत , वणिक वर्ग एवं खाती जाती के लोग विशेष आस्था रखते है | ऐसा माना जाता है की देशनोक को करणी माता ने बसाया था | करणी जी को "आवड जी " ( तमडेराय ) का अवतार माना जाता है | देशनोक से 1 किमी दूर "नेहड़ी जी " का स्थान है जंहा सर्वप्रथम करणी जी अपनी गायो के साथ आकर यंहा रही थी | ऐसा माना जाता है कि यंहा का एक अत्याचारी शासक
" राव कान्हा " का वध करके करणी जी ने " रिड़मल " को यंहा का राज दिलाया |
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